जब समां और रुवा अल्ताफ ने कहा मेरी जान हिंदुस्तान
जब समां और रुवा अल्ताफ ने कहा मेरी जान हिंदुस्तान...
दिल्ली में देश भक्त ! केजरीवाल की ख़बरों के बीच कश्मीर के दो बेटियों के इश्तहार की खबर मीडिया में कहीं जगह नहीं बना पायी है लेकिन नया भारत की इन दो तस्वीरों ने चौंका दिया है।
कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की पोती और हुर्रियत लीडर शब्बीर शाह की बेटी समां शब्बीर ने अख़बार में इश्तहार देकर कहा है कि हिंदुस्तान से प्यारा देश कहीं नहीं है।परिवार के अलगाववादी विचार से उनका कोई संबंध नहीं है। आप इसे आर्टिकल 370 के बाद बदले कश्मीर की झांकी समझ लें या बंद ,हड़ताल ,आतंकवाद ,कत्लेआम के बाद कश्मीर के मौजूदा अमनो शकुन की आम जिंदगी का असर
आप इस बदलाव की व्याख्या जैसे भी कर लें लेकिन पी एम मोदी ने बीजेपी को 370 सीट देने की मांग जनता से ऐसे ही क्रांतिकारी फैसले के दम पर किया है। पिछले दिनों आर्टिकल 370 हटने के बाद मोदी कश्मीर पहुंचे थे तो उन्हें सुनने आई लोगों की भीड़ के लिए स्टेडियम में जगह नहीं बची थी। मोदी तो 90 के दशक में कई बार कश्मीर गए थे। उन्हें श्रीनगर के लाल चौक पर झंडा फहराने के लिए जद्दोजेहद करना पड़ा था।आज तिरंगा हर शहर हर कार्यालय पर फहराया जा रहा है। पी एम मोदी अपने फैसले को लेकर दुनिया में मशहूर हुए हैं यह कश्मीर जानता है। कश्मीरी ये भी जानते हैं कि हिंदुस्तान ने धरती और आकाश में गौरव के झंडे गाड़े हैं।
मैं व्यक्तिगत रूप से गिलानी साहब और शब्बीर शाह की फैमिली को जनता हूं । पाकिस्तान को लेकर इनका दृष्टिकोण कोई भाईचारा का नहीं था,फंड एक वजह हो सकती थी। अलगाववाद की वजह शेख अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार ही था। कश्मीर के चार जिलों में सक्रिय अलगावाद आतंकवाद को दिल्ली जम्मू कश्मीर की समस्या मानती थी। नेशनल ,इंटरनेशनल मीडिया भी इसी चश्मे से इसे देखता था।
मैने पीएम मोदी के कश्मीर दौरे के दौरान एक कश्मीरी मित्र से आर्टिकल 370 के बाद बड़े बदलाव का कारण पूछा तो उसने बताया लोग तो कश्मीर में अपने विशेषाधिकार को जानते भी नहीं थे। उन्हें यह फर्क नहीं पड़ा धारा 370 से क्या मिल गया और अब क्या उनसे छीन गया।कश्मीर के नेता दिल्ली के सामने यह डर दिखाते थे कि कश्मीर भारत के साथ नहीं रहना चाहता।विशेष राज्य का दर्जा कुछ परिवारों का तुष्टिकरण था। सैयद अली शाह गिलानी एक्स एमएलए का पेंशन पाते थे लेकिन उन्हें भारत से दिक्कत थी क्योंकि उन्हें अब्दुल्लाह से दिक्कत थी। मोदी ने अब्दुल्ला परिवार मुफ्ती परिवार और अलगाववादी नेताओं की बार्गेनिग पावर खत्म कर दी।कश्मीर अपनी रफ्तार में दौड़ने लगा।आज गांव हो या शहर लोगों के पास मोदी कार्ड है।बैंक खाते से लेकर आयुष्मान कार्ड तक सभी मोदी कार्ड के नाम से जाने जाते हैं।
दशकों से कश्मीर पर फैसले लेने में हर समय कांग्रेस नेतृत्व डरा सहमा रहा।उन्हें देश पर भरोसा कम लेकिन अब्दुल्लाह परिवार पर भरोसा ज्यादा था। जिसका खामियाजा देश को उठाना पड़ा ,हजारों लोगों की जाने गई। याद कीजिए इंडिया अगेंस्ट करप्शन के जंतर मंतर आंदोलन से मनमोहन सिंह सरकार कैसे डरी सहमी हुई थी। चार चार मंत्री केजरीवाल एंड कंपनी को मनाने में लगे रहे।सरकार बौनी साबित हो रही थी, वजह अन्ना के मोरल स्टैंड के सामने यूपीए का नैतिक पतन हो चुका था।
आज यही केजरीवाल है जिनके देश भक्त और कट्टर ईमानदार का दावा नक्कार खाने में तूती की आवाज बन गई है। क्योंकि पीएम मोदी का मोरल हाई है जिसे नेरेटिव से झुकाया नहीं जा सकता। 10 साल की पीएम मोदी की सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि उसने आतंकवाद और अलगावाद के बार्गेन को खत्म कर दिया,समस्या दम तोड़ती नजर आई। इन दस वर्षों में नैतिक मूल्यों की कसौटी पर देश में कोई नेता आदर्श नहीं स्थापित कर पाए जो मोदी को चुनौती दे सके। देश ने लंबे अरसे बाद स्टेबल गवर्नमेंट देखा है और एक राष्ट्रीय नेता ।जाहिर है चाहे नॉर्थ ईस्ट हो या कश्मीर लोग अगर कहते हैं कि मोदी है तो मुमकिन है क्योंकि यह देश का भरोसा है । विनोद मिश्रा
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