जम्मू के लोगों के गुस्से को समझने की जरूरत है
"कांग्रेस पार्टी से हमें बेहद प्यार है लेकिन जम्मू की अस्मिता हमारे लिए उससे से भी महत्वपूर्ण है"
जम्मू के मौजूदा एम् पी मदन लाल शर्मा के इस बयान पर गौर फरमाए । कमोवेश आज जम्मू रेजिओन मे हर आदमी की यही सोच है। कांग्रेस हो या बीजेपी या पन्थेर्स पार्टी जम्मू की सियासत में दखल रखने वाली हर जमात आज अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति के साथ खड़ी है। जम्मू जल रहा था और केन्द्र सरकार इसे बीजेपी समर्थित प्रदर्सन मानकर इसे थकाने की कोशिश कर रही थी । याद हो की काश्मीर मे महज एक सप्ताह के विरोध को सरकार पचा नहीं पायी ,नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सरकार पर दबाव बनाने लगी कि अगर अमरनाथ श्रायण बोर्ड को दी गई जमीन सरकार वापस नहीं लेती तो काश्मीर के तथाकथित जनांदोलन को हुर्रियत के लीडर अपने साथ ले जायेंगे । और घबराई सरकार आनन् फानन मे न केवल लैंड ट्रान्सफर को रद्द किया बल्कि अमर नाथ श्रायण बोर्ड को लगभग भंग करके यात्रा की जिम्मेदारी सरकार अपने हाथ में ले ली । जाहिर है जम्मू काश्मीर को सिर्फ़ काश्मीर समझने वाले लोगों ने एक बार फ़िर वही किया जो पिछले ६० साल से केन्द्र सरकार करती आ रही है ।
लदाख के लोग बार बार ये दुहाई देते रहे कि काश्मीर मे जारी ये अलगावबाद से हमें बहार निकालो वे भारतीय हैं और भारतीय संप्रभुता के अन्दर उन्हें यु टी का दर्जा देदो । उनकी ये मांग वाजिब थी कि काश्मीर केंद्रित सियासत में लदाख पुरी तरह से उप्पेक्षित होकर रह गया था । केन्द्र का हजारों करोडो रूपये का फंड काश्मीर में लोगों को मालामाल कर रहा था और जम्मू - लदाख के लोग उपेक्षा के शिकार हो रहे थे । जम्मू का कुल क्षेत्रफल २६२९३ किलो मीटर है जबकि काश्मीर का १५९४८ । सरकारी खजाने मे जम्मू से राजस्व मिलता है ७५ फीसद जबकि काश्मीर से कुल राजस्वा मिलता है १५ प्रतिशत । जम्मू में कुल वोटर्स है ३०५९९८६ तो काश्मीर में वोटर्स कि कुल तादाद है २८८३९९५ । लेकिन अस्सेम्ली सीट के मामले में काश्मीर को मिला ४६ सीटें जबकि जम्मू को मिला ३७ सीट । लोक सभा के लिए जम्मू को मिला २ सीट जबकि काश्मीर को मिला ३ सीट । आज जम्मू मे कुल बेरोजगारों कि तादाद है ७० फीसद जबकि काश्मीर में बेरोजगार नौजवानों कि तादादा है १८ फीसद । लदाख कि चर्चा यहाँ मैं इसलिए नहीं कर रहा हूँ क्योंकि लदाख अभी मौजूदा बहस में सामने मे नही है। इस तरह केन्द्र के तमाम पैकेज और रहबिलिटेशन का फोकस काश्मीर हो गया और जम्मू - लदाख मूक तमाश्विन बना रहा । आतंकवाद के निशाने पर जम्मू भी आया और उसके शिकार यहाँ भी हजारों कि तादाद में लोग हुए । लेकिन जम्मू के लोग हर समय खून के आंसू पिटे रहे इस उम्मीद से कि काश्मीर मे पडोशी देश कि शाजिस कभी न कभी खत्म होगी और जम्मू काश्मीर एक अविभाजित प्रान्त बना रहेगा । जम्मू के लोगों कि सहनशीलता और धर्मनिरपेक्षता कि आप को दाद देनी होगी कि यहाँ सैकडो नरसंहार मे हजारों की जान गई लेकिन कभी जम्मू में साम्प्रदायिक तनाव नहीं देखा गया नही इसको लेकर काश्मीर के ताई किसीने गुस्से का इजहार किया ।
लेकिन हद तब हो गई जब महज १०० -२०० लोगों के विरोध प्रदर्शन के सामने सरकार ऐसी झुकी मनो जम्मू के लोगों का कभी कोई अस्तित्वा ही नहीं रहा हो । ४० दिनों के प्रदर्शन के बाद सरकार कि नींद खुली और इस मसले को लेकर सभी दलों कि मीटिंग बुलाई लेकिन. मरहम लगाने के लिए कोई फैसले नही लिए गये .सरकार के सामने कोई जल्दी नही थी क्योंकि यहाँ के प्रदर्शनकारी हाथ में तिरंगा लेकर प्रदर्शन कर रहे थे जबकि काश्मीर मे प्रदर्शनकारियों के हाथ में पाकिस्तान के झंडे थे । और तो और १००- ५० के प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के चाक चौबंद सुरक्षा के वाबजूद लाल चौक पर पाकिस्तान का झंडा भी लहरा दिया था । संभवतः सरकार इस प्रदर्शन से इतने पैनिक हो गई थी उसके सामने हथियार डालने के अलावे और कोई विकल्प नही था । सैयद अली शाह गिलानी कहते है कि हुर्रियत की और से लैंड ट्रान्सफर का मुद्दा कभी नही बना । लैंड ट्रान्सफर का मुद्दा नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का था । हुर्रियत के लिए धारा ३७० कोई मुद्दा नही है , उसके लिए पुरा जम्मू एंड काश्मीर मुत्नाजा है ।
सैकडो वर्षों से अमरनाथ दर्शन के लिए पुरी दुनिया से लोग आते है , कभी किसी यात्री ने नही कहा कि उन्हें शौचालय बना के दो या फ़िर उन्हें रहने सहने के लिए उचित प्रबंध करो । न ही किसी यात्री ने कहा कि यात्रा में भारी खर्च के बोझ को सरकार कम करे और उन्हें सब्सिडी दे। पैसा कमाने कि उत्सुकता में सरकारी इन्त्जमियां ने यात्री को टूरिस्ट बनने कि कबायद तेज कि । सरकार को लगा कि हर साल पाच से छः लाख आने वाले तीर्थ यात्रियों से मोटी कमाई कि जा सकती है । ध्यान रहे महज ५ साल के दौरान माता विष्णो देवी श्रायण बोर्ड ने थोडी सुविधा देकर आज करोडो में सरकार के खजाने में पैसा भर रहा है । आज बोर्ड यात्रिओं से दर्शन के पैसे भी ले ले रहा है । यह सिर्फ़ भारत में ही हो सकता है । जम्मू के लोगों को सियासत चाहे जितने कोस ले उसपर फिरका पसंद का तोहमद लगा दे । लेकिन जम्मू के लोगों ने यह दिखाया है वे सिर्फ़ प्रजा कि भूमिका में ही नही रहेंगे । सत्ता और शोसित में vibhajit जम्मू काश्मीर में सत्ता हमेशा काश्मीर के पास रही है और जम्मू शोषित रहा है । लोगों का प्रदर्शन इसी भेदभाव के खिलाफ है । सत्ता में भागीदारी को लेकर यह जम्मू के लोगों का उग्र प्रदर्शन है ताकि फैसले लेने वक्ता जम्मू के लोगों को हासिये पर न खड़ा कर दिया जाय । अमरनाथ लैंड ट्रान्सफर का मुद्दा उनके अहम् को ललकारा है । जम्मू काश्मीर कि अस्मिता की रक्षा में जम्मू के लोगों ने सबसे ज्यादा खून बहाया है यह पुरे हिंदुस्तान का फर्ज है कि उनकी अस्मिता कि रक्षा करे और सरकार सियासत करने के वजाय उनके गुस्से को समझें ।
टिप्पणियाँ
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Raj Kumar Atal
journalist
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