"सोच बदलेगा तो देश बदलेगा "
उत्तर प्रदेश में जीत - हार की समीक्षा अभी होना बाकी है ,लेकिन ई वी एम मशीन पर हार का ठीकरा फोड़कर मायावती ने ठीक वैसी ही बात की है जैसी बात लाल कृष्ण आडवाणी ने 2004 में की थी। गोमती नदी के किनारे अपनी भव्य मूर्ति लगाकर मायावती ने लखनऊ में अपने को स्थापित जरूर कर लिया लेकिन इन वर्षों में सियासत में आये बदलाव को समझने में धोखा खा गयी। ऐसा ही धोखा बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार अडवाणी जी ने खाया था। सोशल इंजिनयरिंग का फार्मूला अब जीत का सूत्र नहीं है। न ही उग्र राष्ट्रवाद से चुनाव जीता जा सकता है। काम बोलता है इसके लिए प्रचार की जरूरत नहीं है ,जैसे शाइनिंग इंडिया की चमक का प्रचार 2004 में लोगों को प्रभावित नहीं कर सका था । लोगों के दिल में उतरने के लिए आम लोगों से संवाद जरूरी है। आमलोगों की समस्या को समझना जरूरी है। राष्ट्रीय मुद्दे की चर्चा के बजाय पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश में स्थानीय मुद्दे को अपनी जन सभा में उठाया ,पार्टी ने टिकट बटवारे में हर वर्ग का ध्यान रखा .सबसे बड़ी बात यह थी कि हर आम और खास में मोदी यह यकीन दिलाने में कामयाब हुए हैं कि सोच बदलेगा तो देश बदलेगा। और यह सोच मायावती ,अखिलेश और राहुल को भी बदलना होगा सिर्फ मोदी विरोध की राजनीति लोगों को स्वीकार नहीं है ,इस बात को अरविन्द केजरीवाल बेहतर समझ सकते हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव को राजनितिक पंडित ने मोदी लहर माना तो क्या 2017 के पांच राज्यों के चुनाव तक यह लहर कायम है ? अगर कायम है तो बिहार और दिल्ली में बीजेपी की बुरी तरह हार क्यों हुई। बीजेपी के लोगों के पास इसके भी तर्क है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि "देश बदल रहा है आगे बढ़ रहा है " यह महज स्लोगन नहीं है बल्कि हकीकत है। इसलिए यह जीत जनता की है ,यह जीत उस सोच की है जिसमे कहा गया कि "सोच बदलेगा तो देश बदलेगा " राजनीति में भरोसा और विशवास दूर की कौड़ी हो गयी थी। उस देश में लंबे अरसे के बाद पी एम मोदी ने देश में बदलाव के लिए भरोसा जगाया है। हर कोई यथास्थिति को तोडना चाहता है ,लोग सियासत में जाति और धर्म के मिथक को तोडना चाहते है...हर कोई बदलाव चाहता है। . यह जीत बड़े चमत्कार से ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी की है। लंबे अरसे के बाद देश जगा है ,लंबे अरसे के बाद देश ने एक राष्ट्रीय नेता बनाया है। क्या पीएम मोदी इस उम्मीद पर खड़े उतर पाएंगे ? इतिहास उनकी नेतृत्व क्षमता को आंकने के लिए तैयार है। विनोद मिश्र
टिप्पणियाँ