"पाकिस्तान और भारत के बीच तनाजे की वजह पीएम मोदी ने ख़तम कर दी है "
नैरेटिव और सोशल मीडिया के वर्चस्व में प्रभावित होने वाली खबरों के बीच मोदी 2.0 के सौ दिन की हुकूमत पर आमलोगों से राय लेने मैं भी पहुंचा अजमेर शरीफ और ख्वाजा के दरबार। कहते हैं मोदी सरकार फैसले लेने के लिए जानी जाती है कोई एक फैसला आपके जेहन में है ? जयपुर के सलमान कहते हैं , आप इस दौर में किसी मुख्यमंत्री का नाम बताएं जिसके फैसले से आम लोग और राज्य का भला होते दिख रहा हो।यहां राज्यों में सरकारें पेंशन बांट रही है ,बेरोजगारी भत्ता की सियासत कर रही है और मोदी सरकार धारा 370 पर फैसला लेकर दुनियां को चौका रही है। क्या ये फैसले नहीं लिए जाने चाहिये थी ? अबतक किसी ने ऐसा क्यों नहीं किया ?
दुनिया भर से इबादत करने आये लोगों को ख्वाजा शरीफ के दरबार से असीम श्रद्धा है।लोगों का मानना है कि यहां कुछ न कुछ जरूर मिलता है। दरगाह के दीवान जैनुल अबेदीन साहब कहते हैं ,पाकिस्तान कश्मीर को लेकर यह मानता रहा कि यह विभाजन का अनफिनीस्ड एजेंडा है। मोदी जी ने धारा 370 हटाकर भारत -पाकिस्तान के तनाजे की वजह ख़तम कर दी है। मोदी सरकार सबको साथ लेकर चलने वाली हुकूमत है। कश्मीर के लोग मुख्यधारा से अलगथलग थे , धारा 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में एक नई शरुआत हो सकती। भारत के संविधान में धारा 370 टेम्पररी थी अगर इससे आम कश्मीरी को फायदा नहीं हो रहा था तो उसे हटाया जाना चाहिए था ।अबतक क्यों नहीं हटा ? पाकिस्तान देर सवेर इस बात से मुतमईन होगा कि भारत ने बेहतर फैसला लिया है और दोंनो मुल्कों के बीच दुश्मनी की वजह को पूरी तरह से खत्म करके भारत ने अमन बहाली का शानदार मौका दिया है।यक़ीन कीजिये इसमे दोंनो मुल्कों की तरक़्क़ी पक्की है। यही बात तो जमीयत उलमा ए हिन्द के सरबरा मौलाना महमूद मदनी भी कहते हैं ,कश्मीर का हर वाशिंदा भारत का नागरिक है और कश्मीर मुल्क का अटूट अंग है। इसपर पर पाकिस्तान को कोई गलतफैहमी नहीं होनी चाहिए। आर्टिकल 370 ख़तम करने की पहल को पुरे मुल्क के लोगों ने इस्तकबाल किया है।
ग्रेजुएशन में पढ़ रहा आबिद आजतक इसरो को नहीं जाना था।चंद्रयान के बारे में सुना था लेकिन चंद्रयान के लेंडिंग में आई गड़बड़ी पर जिस तरह भारत के लोगों ने रियेक्ट किया, तो लगा यह मोदी है तो मुमकिन है।अबतक लोग रतजगा करके क्रिकेट मैच देखते थे पहलीबार लोग सारी रात जागकर अपने सेटेलाइट को टीवी पर निहारते रहे।मानो उसी के घर का कोई वैज्ञानिक कमाल दिखा रहे हो ।
ये आम हिंदुस्तानी की प्रतिक्रिया थी दर्जनो ऐसी प्रतिक्रिया थी जो मेरे जैसे साधारण पत्रकार की समझ से पड़े थी। ये बदलते भारत की तस्वीर है जो ख़बरों पर संपादकीय देने का माद्दा रखते हैं ,कोई दकियानूसी नहीं है।फिर हम जैसे पत्रकार क्यों नैरेटिव बनाते हैं और अलग धारा बनाने की जिद में देश के इस बदलाव को नही समझ पा रहे हैं ?
स्थानीय पत्रकार कमलेश कहते हैं कि मोदी सरकार में पत्रकारों को लेकर कुछ पूर्वाग्रह भी है।मसलन प्रधानमंत्री कार्यालय में इनदिनों पत्रकारों की आबाजाही नहीं के बराबर है, पहले पत्रकार जनता और शासन के बीच कड़ी का काम करते थे, ऐसा उनका मानना रहा है।अब मोदी जी जनता से सीधे संवाद करने की कोशिश करते हैं। पीएम के दौरे में पत्रकारों को विदेश जाने की परंपरा खत्म हो गयी है जो पहले ऐसा नहीं था। नैरेटिव अक्सर संवादहीनता की स्थिति में होती है या इसके पीछे व्यक्तिगत ईर्ष्या भी वजह है लेकिन इस कारण कई बार देश का नुकसान भी होता है।समाज में निगेटिविटी जल्दी असर करती है।
ट्रैफिक जैसे सख़्त कानून को लेकर युवाओं में नाराजगी भी है लोग मानते हैं कि आप जब शौच के लिए लोगों की आदत बदल सकते हैं फिर ट्रैफिक नियम क्यों नहीं लोगों को सिखाया जा सकता है? कानून जब भी सख्त हुए हैं उसका ज्यादा दुरुपयोग ही हुआ है।क्या मोर गवर्नेन्स और लेस गवर्नमेंट की बात जमीन पर उतर नहीं पाई ? वजह यही कानून जो कुछ लोगों को असीम शक्ति प्रदान करता है और नॉकरशाह इसका भरपूर दुरुपयोग करते हैं ।
जिस दिन इस देश में आम लोगों को सरकारी सहायता के लिए घूस नहीं देना पड़े और सरकारी फाइलों से कमीशन की परंपरा ख़त्म हो जाय तो माना जायेगा कि मोदी सरकार इस देश में सिर्फ परिवर्तन के लिए आई है जिसका इन्तजार यह मुल्क 70 सालों से कर रहा है।यहां लोग अपना पैसा ठंढ़ में ठिठरते हुए लाईन में लगकर निकाले हैं क्योंकि उसे मोदी पर भरोसा है लेकिन अगर सिस्टम इतना बईमान है तो उसे किसी गहलोत/कुमार या कोई और के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता ।
दुनिया भर से इबादत करने आये लोगों को ख्वाजा शरीफ के दरबार से असीम श्रद्धा है।लोगों का मानना है कि यहां कुछ न कुछ जरूर मिलता है। दरगाह के दीवान जैनुल अबेदीन साहब कहते हैं ,पाकिस्तान कश्मीर को लेकर यह मानता रहा कि यह विभाजन का अनफिनीस्ड एजेंडा है। मोदी जी ने धारा 370 हटाकर भारत -पाकिस्तान के तनाजे की वजह ख़तम कर दी है। मोदी सरकार सबको साथ लेकर चलने वाली हुकूमत है। कश्मीर के लोग मुख्यधारा से अलगथलग थे , धारा 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में एक नई शरुआत हो सकती। भारत के संविधान में धारा 370 टेम्पररी थी अगर इससे आम कश्मीरी को फायदा नहीं हो रहा था तो उसे हटाया जाना चाहिए था ।अबतक क्यों नहीं हटा ? पाकिस्तान देर सवेर इस बात से मुतमईन होगा कि भारत ने बेहतर फैसला लिया है और दोंनो मुल्कों के बीच दुश्मनी की वजह को पूरी तरह से खत्म करके भारत ने अमन बहाली का शानदार मौका दिया है।यक़ीन कीजिये इसमे दोंनो मुल्कों की तरक़्क़ी पक्की है। यही बात तो जमीयत उलमा ए हिन्द के सरबरा मौलाना महमूद मदनी भी कहते हैं ,कश्मीर का हर वाशिंदा भारत का नागरिक है और कश्मीर मुल्क का अटूट अंग है। इसपर पर पाकिस्तान को कोई गलतफैहमी नहीं होनी चाहिए। आर्टिकल 370 ख़तम करने की पहल को पुरे मुल्क के लोगों ने इस्तकबाल किया है।
ग्रेजुएशन में पढ़ रहा आबिद आजतक इसरो को नहीं जाना था।चंद्रयान के बारे में सुना था लेकिन चंद्रयान के लेंडिंग में आई गड़बड़ी पर जिस तरह भारत के लोगों ने रियेक्ट किया, तो लगा यह मोदी है तो मुमकिन है।अबतक लोग रतजगा करके क्रिकेट मैच देखते थे पहलीबार लोग सारी रात जागकर अपने सेटेलाइट को टीवी पर निहारते रहे।मानो उसी के घर का कोई वैज्ञानिक कमाल दिखा रहे हो ।
ये आम हिंदुस्तानी की प्रतिक्रिया थी दर्जनो ऐसी प्रतिक्रिया थी जो मेरे जैसे साधारण पत्रकार की समझ से पड़े थी। ये बदलते भारत की तस्वीर है जो ख़बरों पर संपादकीय देने का माद्दा रखते हैं ,कोई दकियानूसी नहीं है।फिर हम जैसे पत्रकार क्यों नैरेटिव बनाते हैं और अलग धारा बनाने की जिद में देश के इस बदलाव को नही समझ पा रहे हैं ?
स्थानीय पत्रकार कमलेश कहते हैं कि मोदी सरकार में पत्रकारों को लेकर कुछ पूर्वाग्रह भी है।मसलन प्रधानमंत्री कार्यालय में इनदिनों पत्रकारों की आबाजाही नहीं के बराबर है, पहले पत्रकार जनता और शासन के बीच कड़ी का काम करते थे, ऐसा उनका मानना रहा है।अब मोदी जी जनता से सीधे संवाद करने की कोशिश करते हैं। पीएम के दौरे में पत्रकारों को विदेश जाने की परंपरा खत्म हो गयी है जो पहले ऐसा नहीं था। नैरेटिव अक्सर संवादहीनता की स्थिति में होती है या इसके पीछे व्यक्तिगत ईर्ष्या भी वजह है लेकिन इस कारण कई बार देश का नुकसान भी होता है।समाज में निगेटिविटी जल्दी असर करती है।
ट्रैफिक जैसे सख़्त कानून को लेकर युवाओं में नाराजगी भी है लोग मानते हैं कि आप जब शौच के लिए लोगों की आदत बदल सकते हैं फिर ट्रैफिक नियम क्यों नहीं लोगों को सिखाया जा सकता है? कानून जब भी सख्त हुए हैं उसका ज्यादा दुरुपयोग ही हुआ है।क्या मोर गवर्नेन्स और लेस गवर्नमेंट की बात जमीन पर उतर नहीं पाई ? वजह यही कानून जो कुछ लोगों को असीम शक्ति प्रदान करता है और नॉकरशाह इसका भरपूर दुरुपयोग करते हैं ।
जिस दिन इस देश में आम लोगों को सरकारी सहायता के लिए घूस नहीं देना पड़े और सरकारी फाइलों से कमीशन की परंपरा ख़त्म हो जाय तो माना जायेगा कि मोदी सरकार इस देश में सिर्फ परिवर्तन के लिए आई है जिसका इन्तजार यह मुल्क 70 सालों से कर रहा है।यहां लोग अपना पैसा ठंढ़ में ठिठरते हुए लाईन में लगकर निकाले हैं क्योंकि उसे मोदी पर भरोसा है लेकिन अगर सिस्टम इतना बईमान है तो उसे किसी गहलोत/कुमार या कोई और के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता ।
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