ममता ,माओवादी और सरकार

.बिहार ,बंगाल ,छत्तीसगढ़ ,झारखण्ड और उड़ीसा मे नक्सालियों का कहर जारी है .कही इनके निशाने पर ग्रामीण है तो कही नक्सालियों को शिकस्त देने गए सुरक्षाबल मारे जा रहे है . सरकार के साथ आँख मिचौली  के खेल मे नक्सली अपनी रणनीति से सरकारों को थका रही है और हर हादसे के बाद एक दुसरे पर तोहमत लगा कर राजनितिक पार्टियाँ एक दुसरे को बौना साबित करने में जूट जाती है .
पश्चिम बंगाल मे नक्सालियों का हमला होता है तो ममता दीदी नक्सालियों से तुरंत बात करने की सलाह देती है .केंद्र सरकार को ढेर नशिहत देकर बंगाल की सियासत मे दखल न देने के लिए धमका भी जाती है .वही यह हमला बिहार मे हो तो केंद्र सरकार राज्य पुलिस व्यवस्था को लचर बताती है .यही हमला छत्तीसगढ़ मे हो तो बीजेपी सरकार की अकर्मण्यता सामने आती है . झारखण्ड की सरकार ने तो अपना रबैया पहले ही साफ़ कर चुकी है कि नक्सालियों के खिलाफ जोर दार अभियान उन्हें कतई मंजूर नहीं है .यानि हर सरकार के सामने नक्सली वो तुरुप के पत्ते है जिसका  इस्तेमाल अलग अलग राज्यों की सरकार अपने सियासी फैदे और नुक्सान को देखकर कर रही है .और केंद्र सरकार विपक्षी सरकार को नकारा साबित करने में लगी है . लेकिन राजनितिक दलों की इस सियासत से सबसे ज्यादा फायदा नक्सालियों ने उठाया है .महज पांच साल पहले नक्सालियों का अस्तित्वा महज ३३ जिलों मे था ,आज उनका विस्तार मुल्क के २४ राज्यों के २२२ जिले और उनके २००० पुलिस थाणे के ऊपर है .देश के ८० जिलों मे नक्सालियों की तूती बोलती है तो २९ जिलो मे नक्सालियों का कानून चलता है .जहाँ सरकार की कोई रिट नहीं चलती .नक्सालियों की जनादालत ,उनके दलम ,उनके संगम एक सामानांतर सरकार चला रहे है .
नक्सल आतंक के खिलाफ नवम्बर महीने से जोरदार हमले की तैयारी थी . ऑपरेशन ग्रीन हंट की तैयारी मीडिया के द्वारा छन छन कर लोगों के बीच आ रही थी . नगारे बज रहे थे मानो फाॅर्स बस्तर के जंगल में घुसेंगे और गणपति से लेकर कोटेश्वर राव तक तमाम आला नक्सली लीडरों को कान पकड़ कर लोगों के बीच ले आयेंगे . लेकिन अचानक गृह मंत्री चिदम्बरम ने इन तमाम अभियान पर पानी फेर दिया . गृह मंत्री ने कहा , ओपरेशन ग्रीन हंट मीडिया का दुष्प्रचार था . नक्सल के खिलाफ ऐसे किसी अभियान की बात सरकार अबतक की ही नहीं है . यानि कैबिनेट कमिटी ओन सिक्यूरिटी की बात एयर फाॅर्स के ऑपरेशन की बात . नक्सल प्रभावित इलाके में सेना से मदद लेने की बात .सबकुछ महज एक बकवास था खबरिया चैनल अपने मकसद के कारण ऐसी खबर चला रहे थे .यानि चिदम्बरम साहब नक्सल के खिलाफ जंग भी लड़ना चाहते है और सामने भी नहीं आना चाहते .वो राज्य सरकारों को मदद दे रहे, वे ४० से ५० बटालियन फाॅर्स नक्सल प्रभावित राज्यों को भेज रहे .उनकी फाॅर्स को राज्य सरकार के काबिल पुलिस अधिकारी अपने हिसाब से लगा रहे है .जाहिर है कभी बंगाल के मिदनापुर में नाक्साली २४ paramilitary  फाॅर्स की बेरहमी से हत्या करके चला जाता है ,तो कभी बस्तर में तो कभी झारखण्ड मे दर्जनों सी आर पी ऍफ़ के जवान बे मौत मारे जा रहे है . हर हमले के बाद राज्य सरकारों की दलील होती है ,इंटेलिजेंस फेलुएर का ,बला बला . जहाँ नक्सल के खिलाफ कोई ख़ुफ़िया जानकारी ही नहीं है उसके फेलुएर होने का क्या मतलब होता है .पिछले एक साल से कोटेश्वर राव बंगाल मे बैठकर प्रेस कांफ्रेंस कर रहे है ,सरकार को ललकार रहे है ,लेकिन पशिम बंगाल की सरकार उसे पकड़ नहीं पा रही है .लक्षमण राव छत्तीसगढ़ में है या झारखण्ड मे सरकार को कुछ नहीं पता .यानि मिस्टर इंडिया बनकर नक्सली कमांडर अपना अभियान चला रहे है और सरकार उन्हें पकड़ नहीं पा रही है .गृह मंत्री चिदम्बरम बंगाल के दौरे पर होते है ,नक्सल के खिलाफ कारवाई की समीक्षा करते है और दो दिन बाद उनके सुरक्षा वालों के कैंप को नक्सली तवाह कर चले जाते है ,जवानों को मार कर सारे हथियार लूट ले जाते है .राज्य प्रशासन की हालत समझने के लिए वहा की हालत की समीक्षा के लिए गृह मंत्री और क्या जानना चाहते है .ये तो वही जाने लेकिन सरकार की कारवाई वही होगी जो ममता चाहेंगी .
. हालत यह है कि ममता ,माओवादी ,मार्क्सवादी के बीच उलझे  मामले ने  भारत सरकार को भी एक कदम आगे और दो कदम पीछे चलने पर मजबूर कर दिया है .जरा आप छत्तीसगढ़ सरकार की तैयारी पर गौर करे
राज्य में चार किलो मीटर की दुरी पर एक पुलिस वल की मौजदगी है
नक्सल प्रभावित बस्तर इलाके में एक पुलिस     की मौजदूगी ९ किलो मीटर पर है
राज्य में नक्सल के खिलाफ अभियान छेड़ने के लिए २०००-से ३००० पोलिसवल को गुरिल्ला जंग के खिलाफ ट्रेनिंग दी गयी है ,जिसमे अधिकांश जवान राज्य के वी आई पी की सुरक्षा में तैनात है .
जंगल इलाके में खुफिया जानकारी के अभाव में ५००  से ज्यादा सुरक्षा वल मारे गए है .
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बस्तर इलाके में ९५ फीसद सड़के कच्ची है जिनमे अधिकांश जगहों पर नाक्साल्लियों का माइयन बिछे पड़े है .
लेकिन हम फिर भी राज्य सरकार से उम्मीद करते है कि राज्य सरकार अपनी लडाई खुद लड़ लेगी .

गृह मंत्री के दो चेहरे है ,मिडिया के सामने उनका व्यक्तित्वा निर्णायक लीडर जैसे उभरता है लेकिन एक्शन के मामले वे कही से शिवराज पाटिल से अलग नहीं है .गृह मंत्रालय पिछले महीनो मे पाच से ज्यादा बार मुख्यमंत्रियों की बैठके कर चूका है लेकिन हर बार वोट के आकलन मे ये तमाम निर्णय उलझ कर रह जाते है .सरकार यह मानती है कि माओवादियों का लोकतंत्र मे कोई आस्था नहीं है .सरकार यह मानती है कि नाक्सालियो के कब्जे उन्हें अपने क्षेत्र को आज़ाद कराने है .सरकार यह मानती है कि नक्सलियों का कोई सिधांत नहीं है .फिर सरकार को अपनी संप्रभुता को बहाल करने से कौन रोक रहा है .नक्सली के जनसमर्थन का अंदाजा आप इससे लगा सकते है कि पिछले वर्षों मे नक्सलियों ४०० से ज्यादा स्कूलों को बमों के धमाके से उड़ाया है .फिर भी लोग उन इलाकों मे नक्सलियों के जनसमर्थन की बात करते है तो यह कहा जा सकता है कि वे सीधे तौर पर नक्सलियों के एजेंट है जो सफ़ेद चोगा पहनकर सरकार और मुल्क को गुमराह कर रहे है .हर नक्सली हमले के बाद गृह मंत्री बुद्धिजीवियों को कोसते है .उन्हें नाक्साली हमले की निंदा करने की अपील करते है .लेकिन चिदम्बरम साहब यह भूल जाते है कि यह न तो कोई माओवाद है न ही कोई ये माओवादी .सरकार इखलाक से चलती है .सरकार को यह भरोसा देना होगा कि उनकी राज सत्ता नक्सली आतंक को कुचलने के लिए सक्षम है .इस अभियान मे ममता ,शिवू सोरेन जैसे लीडर आड़े आते है तो सरकार की सत्ता को यह तय करना होगा कि उनके लिए देश की संप्रभुता अब्बल है या फिर वोट की सियासत .

जो भी हो केंद्र सरकार रणनीति बना रही है ,तब तक हो सकता है कि कोटेश्वर राव और गणपति को ही सदबुधि आ जाय. तब तक अगर और १००० -२००० लोग मारे जाते है तो सियासत पर इसका क्या फर्क पड़ेगा .क्योंकि पिछले  वर्षों में हमने २०००० से ज्यादा लोगों को खोया है तब भी सरकार चल रही है  .गाँव से लेकर शहर तक आतंकवाद से पूरा देश भयभीत है .लाल आतंक से लेकर जेहाद का आतंक लोगों को डस रहा है लेकिन फिर भी अगर वोट की सियासत हावी है तो कह सकते है कि इसका समाधान सरकार के पास नहीं आम लोगों के पास है .आतंक के दल दल से देश को बाहर निकालने के लिए लोगों को पहल करनी होगी .

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
AAPANE APANE AALEKH MEN SAHI SAWAL UTHAE HAIN. DARASAL DESH KI BADI PARTIYAN VOTE KI RAJNITI KO HI JYADA JARURI SAMAJHANE LAGI HAIN. EK TARAF BJP HAI JO JHARKHAND OUR BIHAR KI SATTA MEN SAJHIDAR HOTE HUYE NITISH VA SOREN PAR DABAV NAHI BANA RAHI HAI, USE CONGRESS KO HI GHERANA HAI. DUSARI TARAF CONGRESS HAI JO MAMATA BENARJI PAR KOI DABAV NAHI BANA PA RAHI HAI. JIN VAM DALON KE SAHYOG SE SADHE CHAR SAAL TAK SARKAR CHALATI RAHI, USI KO PARESHAN KARANE MEN MAMATA KI MADADGAR BAN GAEE. KUCH AKHBAR VALE BHI DHANYA HAIN, KHASKAR BENGAL KE, UNAHEN 24 JAWANO KI HATYA KARANEVANE MAOVADIYON SE NAHI BUDHADEV SARKAR SE HI SHIKAYAT HAI KI USAKI LAPARVAHI SE HI YEH HATYA HUEE. SALON SE DUSARE RAJYON MEN KYA DUSARI SARKAREN HI HATYAYEN KARA RAHI HAIN.
DARASAL SIDDHANHIN DAL MAOVADIYON KA ISTEMAL KAR RAHIN HAIN. ISE JANTA DEKH OUR SAMAJH RAHI HAI. DHIRE-DHIRE SABHI AVSARVADI BENAKAB HONGE, YEH BHAROSA KIYA JANA CHAHIYE.

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