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संसद को त्याग कर ही बीजेपी सरकार बना सकती है

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संसद और सड़क के बीच, सांसद और सिविल सोसाइटी के बीच ,बेईमान और इमानदार के बीच लोकपाल बिल को लेकर छिड़ी बहस अपने आखिरी पड़ाव पर है .देश की संसद का यह अनोखा बिल पिछले ४० साल में ११ बार नए संशोधन के साथ संसद में आया लेकिन हर बार राजनितिक इच्छाशक्ति के अभाव के  कारण यह बिल पास नहीं हो सका .वजह भ्रष्टाचार कभी देश के चुनावो का मुद्दा नहीं बना .वजह देश की राजनीती भ्रष्टाचार की संस्कृति को आत्मसात कर चुकी है .लेकिन इस वजह का श्रेय कमोवेश आमलोगों को भी जाता है .यह सवाल पूछा जाना लाजिमी है की पिछले २० वर्ष से सत्ता और राजनीती में अपना वर्चस्व रखने वाले लालू जी ,मुलायम सिंह ,रामविलास पासवान ,मायावती और देश के दर्जनों क्षेत्रीय पार्टिया क्या अपने उच्च आदर्शो के कारण बने हुए है या    इस आदर्श के पीछे उनकी दौलत है .देश के प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों का  भ्रष्टाचार से रिश्ता उतना ही पुराना है जितनी  पुरानी हमारी संसदीय व्यवस्था है . लेकिन फिर भी यह भ्रष्टाचार कभी चनावी मुद्दा नहीं बन सका इसका जवाब मौजूदा लोकपाल बिल है .लोकपाल बिल में आज भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं है बल्कि बड़ी चालाकी से सरकार ने बहस को आ

कपिल सिब्बल का फेसबुक प्रोफाइल

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ऍफ़ डी आई के मामले में प्रधानमंत्री के सख्त रबैये से लोगों को यह एहसास हो गया था कि रिटेल सेक्टर में कोई बड़ा चमत्कार होने वाला है .देश के तमाम छोटे बड़े अख़बारों में ऍफ़ डी आई के फायदे को लेकर बड़ा इश्तिहार निकला गया .टीवी चैनलों पर आकर सरकार के मंत्रियों ने इसकी तारीफ में बड़ी बड़ी बातें की लेकिन  यह बात लोगों की समझ  में नहीं आई .यानी सरकार जिसे आर्थिक क्रांति मान रही थी लेगों ने उसे धोखा करार दिया .तो क्या लोग अखबार नहीं पढ़ते है ?टीवी नहीं देखते है ?या फिर सरकार सरकार पर कोई भरोसा नहीं है ?सरकार का यह फैसला इतना ही शानदार था तो इसे वापस क्यों लिया गया ? सोसल नेटवर्किंग साईट को लेकर कपिल सिब्बल के उग्र रूप से सरकार की हतासा समझी जा सकती है .टेलिकॉम मिनिस्टर श्री सिब्बल फेसबुक ,ट्वीटर और दुसरे साईट पर लगाम लगाना चाहते है .वजह लोग अख़बार या टीवी के प्रोपगंडा से उकता गए है अब ओ मौलिक सुचना का आदान प्रदान करना चाहते है. सरकार का बहाना है कि इन साईट पर आपतिजनक मसाले डाले जा रहे है .लेकिन सवाल यह है कि सरकार के खिलाफ हर चीज आपतिजनक हो सकती है .फिर चीन और भारत में फर्क क्या है .कपिल सिब

यह सियासी ड्रामा किसके लिए है

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भारत पाकिस्तान के रिश्ते पर जमे बर्फ को पिघलाने की कोशिश एक बार फिर तेज हुई है .मुंबई हमले के बाद ठप्प पड़े बातचीत की पहल को मजबूती दी जा रही है .कश्मीर से लेकर आतंकवाद तक सारे मुद्दे पर खुलकर बहस हो रही है .लेकिन यहाँ यह सवाल उठाना लाजिमी है कि कौन है ये लोग जो भारत पाकिस्तान के बीच जटिल मसले को चुटकी बजा कर हल करना चाहते है .पाकिस्तान के मोहम्मद अकरम कहते है "नेहरु गए ,जिन्ना गए ,इंदिरा गयी ,बेनजीर गयी ,वाजपेयी साहब आये लेकिन मसला वही का वही है ,क्या पाकिस्तान के यही अफलातून इस मुद्दे को सुलझाएंगे ,जिनपर अवाम का एतमाद नहीं है .हुकूमत यहाँ कौन चला रहा है यह पाकिस्तानी अवाम को भी नहीं मालूम है क्या इंडिया को नहीं पता कि वजीरे आजम युसूफ रजा गिलानी की यहाँ क्या हैसियत  है ." भारत को पाकिस्तानी हुकुमरानो की भले ही हैसियत पता नहीं हो लेकिन अमेरिका को उनकी हैसियत मालूम है ,सो पाकिस्तान को भरोसा में लिए बगैर अमेरिका ने दुनिया के सबसे खतरनाक दहशतगर्द ओसामा बिन लादेन को मार डाला .पाकिस्तानी फौज के सुरक्षित पनाहगाह में घुसकर अमेरिका की यह करवाई इस सच को दुनिया के सामने ला दिया था कि

संसद पर एन जी ओ भारी

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२४ घंटे के खबरिया चैनल में सिर्फ बाबा रामदेव .अंग्रेजी सहित दूसरी भारतीय भाषा के अख़बारों में सिर्फ बाबा  रामदेव .यानी खबरों का सरोकार इनदिनों बाबा रामदेव से है जो १अरब १२ करोड़ जनता की सरकार को धमका रहे है .केंद्र की हर दिल अजीज और लोकप्रिय यु पी ए  सरकार जिसे दुबारा सत्ता में आने का मौका देश की जनता ने दिया वह एक अदना सा बाबा के सामने गिरगिरा रही है .बाबा रामदेव भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ राजधानी दिल्ली में  आमरण अनशन करने वाले है लेकिन नींद सरकार की उडी हुई है .नेहरु जी और इंदिरा जी के बाद मनमोहन सिंह तीसरे कांग्रेसी प्रधानमंत्री है जिन्होंने देश पर ७ साल से अधिक राज किया है लेकिन एक अदना सा बाबा जिसकी बाजीगरी सांस तेज खीचने में है उसने प्रधानमंत्री की साँसे  अटका दी है .प्रधानमंत्री बाबा को मनाने के लिये चिठ्ठी लिख रहे है .आयकर विभाग से लेकर इ डी के आला अधिकारी कालाधन और आयकर चोरी का रहस्य और सरकार की मजबूरी से बाबा को अवगत करा रहे है .लेकिन बाबा तो बाबा है टी वी के जरिये पूरी दुनिया को अबतक योग रहस्य बताते रहे है अब उसी टीवी के जरिये वो  लोगों को कालाधन का रहस्य बताने सामने आये

कानिमोझी के बाद कौन ?

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२जी स्पेक्ट्रोम  मामले में करुनाधि की बेटी कानिमोझी की गिरफ़्तारी ने मौजूदा भ्रष्ट व्यवस्था के ताबूत में एक और कील ठोक दी है .१ लाख ७६ हजार करोड़ रूपये के टू जी घोटाले को लेकर बहस का दौर अभी जारी है .इस बहस में पिछले वर्षो में हुए लाखों करोडो रु के दुसरे घोटाले की चर्चा का स्वर अभी धीमा है .दर्जनों  घोटाले और भ्रष्ट घोटालेवाजो की सुनवाई उची अदालतों में हो रही है .कई महा घोटालो की सुनवाई खुद सुप्रीम कोर्ट कर रहा  है जाहिर है पूर्व केंद्रीय मंत्री डी राजा और डी एम् के सांसद कानीमोझी सहित कई आला अधिकारी नप गए  है . सवाल यह है एक क्षेत्रीय पार्टी डी एम् के का आज राजनितिक अस्तित्व संकट में है लेकिन इन तमाम घोटाले में बराबर का हिस्सेदार रही कांग्रेस एक के बाद एक जीत का जश्न मनाने में व्यस्त है .सुरेश कलमाड़ी को छोड़कर अन्य किसी बड़ी मछली पर अभी हाथ डालने की हिम्मत सरकारी एजेंसी नहीं दिखा रही है . बीस साल पहले महज ९०० करोड़ के चारा घोटाले के कारण लालू यादव को जेल की हवा खानी पड़ी थी .लालू जी ने इसे राजनितिक साजिश करार दिया था .ये अलग बात है की कांग्रेस को साथ लेकर उन्होंने १५ साल तक बिहार अपनी सत

क्या उखाड़ लेंगे अन्ना

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हाथ में दो केला और एक सेव थामे मै कुछ देर निर्विकार भाव से ठेले वाले को निहारता रहा ..मुझे लगा उसने अभी अभी जो कीमत बताई है वह शायद उसका फम्बल था  .मैंने उसे  रिटेक देने के आग्रह के साथ दुबारा कीमत बताने को कहा .उसने लगभग खीजते हुए कहा "यहाँ रिटेक नहीं चलता आपने सही सुना है " यानि पुरे ४५ रुपया ठेले वाले   को  भुगतान  करके मै यह गीत गुनगुनाता वापस ऑफिस की ओर चला "मोरे सैया तो खुबे कमात है ,महगाई डायन खाई जात है " .फल खाने का यह आईडिया अचानक क्यों आया .इस बात पर मैं खुद अपने आपको कोस रहा था .अभी अभी तो कैंटीन वाला से लड़कर बाहर आया था .४० रुपया में थाली ,लूट है क्या ? मैंने हुंकारते हुए कहा था इतने पैसे के फल खरीद कर खा लेंगे .बुद्ध को ज्ञान प्राप्त होने में १८ साल लग गए थे लेकिन मुझे यह ज्ञान कुछ मिनटों में मिलगया .ऑफिस आकर मै यह खबर पढ़ कर तनिक भी विचलित नहीं हुआ की मुंबई में एक माँ अपने 6 साल के बेटे को लेकर ७ वी मंजिल  से छलांग लगा दी .ओड़िसा में एक माँ ने  पाच बच्चों के साथ   आत्महत्या कर ली . देश के १२ लाख करोड़ रूपये के बजट बनाने वाले वित्त मंत्री प्रणव मुखर्

पाकिस्तान में ब्लासफेमी का ब्लास्ट

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सस्ता खून और महगा पानी पाकिस्तान में कहाबत नहीं बल्कि जीवन की हकीकत है .पुरे मुल्क में खुनी खेल का सिलसिला जारी है .आम आदमी मारे जा रहे है तो वी आई पी भी  ..ब्लासफेमी लाव की मुखालफत के नाम पर गवर्नर सलमान तासीर की मौत हो चुकी है तो फेडरल मिनिस्टर शाहबाज भट्टी को भी मौत की नींद सुला दिया गया है .सलमान तासीर की हत्या उनके बॉडी गार्ड ने की तो शाहबाज की हत्या पाकिस्तान के तालिबान ने .यानी मुल्क में आज कुख्यात इश निंदा कानून के पैरोकार मुल्ला - मिलिट्री और दहशतगर्द तंजीमो के सामने सरकार और समाज ने घुटने टेक दिए है .हालत को इस तरह समझा जा सकता है की एक गवर्नर की मौत पर कोई दो शब्द सहानुभूति के भी नहीं आये .मुल्क के सद्र और वजीरे आजम ने सलमान की मौत पर चुपी साध ली तो मुल्लाओं ने उनके आखरी रसुमात पर किसी मौलबी को भी नमाज पढने की इज़ाज़त नहीं दी और कातिल कादरी पर फूल बरसाए गए .यही हाल कमोवेश शाहबाज भट्टी को लेकर भी था .लेकिन  एलिट क्लास के लोगों की बर्बर हलाकत और पाकिस्तान में समाज की अनदेखी कुछ अलग कहानी वया कर रही है . १९०६ में पहलीबार आल इंडिया कांग्रेस के सामने मुस्लिम जमींदारो ,राजे राज्ब

इस्तीफा भी दे सकते है प्रधानमंत्री ?

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आम तौर पर अपना मुहं बंद रखनेवाले प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने आखिरकार अपना मुह खोला ,कई बार जवान फिसली ,कई बार सवाल टाल गए लेकिन एलोक्ट्रोनिक मिडिया के संपादकों के साथ बातचीत मे उन्होंने यह जरूर साबित कर दिया कि वे ज्यदादिनो तक अपना मुंह बंद नही रखेंगे .आमतौर पर प्रधानमंत्री साल मे सिर्फ एकबार मीडिया से रुबरु होते है लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरी सरकार के मुखिया होने के कारण उन्होंने यह जरूरत समझी कि अपना पक्ष लोगों के सामने रखे.उन्होंने यह साफ़ कर दिया कि वे मजबूर है ,उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया कि सरकार मे हर फैसले उनके ही मुताबिक नही होते है .उन्होंने यह भी साफ़ कर दिया है कि गठबंधन की सरकार चलानी है तो मुखिया को कही न कही समझौता करना ही पड़ता है .यानि २जी स्पेक्ट्रुम मे मची लूट से वे पूरी तरह वाकिफ थे लेकिन वे राजा पर कोई कारवाई नही कर सके .उन्होंने यह भी साफ़ किया कि राजा को उन्होंने २००७ विधि सम्मत फैसले लेने को कहा था फिर भी राजा ने उन्हें अनसुना किया .खास बात यह है कि जब प्रधानमंत्री राजा के बारे मे सबकुछ जानते थे फिर उन्हें यु पी ऐ -२ के सरकार गठन के मौके पर दुबारा वही मंत्

तहरीर चौक के बाद अब कौन चौक .......

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"अब मिस्र आज़ाद है " तहरीर चौक पर अपार जनसमुदाय का यह नारा पूरी दुनिया मे व्यवस्था परिवर्तन की लो को एक उम्मीद से भर दिया है इजिप्ट के .तहरीर चौक से उठी यह क्रांति की चिंगारी अरब वर्ल्ड के साथ साथ एशिया के देशो मे जल्द ही फैलने वाली है .अरब देशो मे सत्ता शीर्ष पर कब्ज़ा जमाये हुए सत्ताधीशों की बेचैनी बढ़ने लगी है .टूनिसिया मे एक मजदूर की मौत क्रांति का आगाज कर सकती है और वर्षो से सत्ता पर काबिज निरंकुश शासक को मुल्क छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है .मिस्र मे फेसबुक पर एक लड़की का यह मेसेज "मै तहरीक चौक जा रही हूँ" .........एक नयी क्रांति की नीव डालती है और महज १८ दिन  के आन्दोलन ३० साल के हुस्नी मुबारक की सत्ता को उखाड़ फेकता है .तो क्या ऐसी क्रांति आज भारत मे संभव है ?क्या भारत मे व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा कभी क्रांति का रूप धारण कर सकता है ? व्यवस्था के खिलाफ रोष और क्षोभ न्यायपालिका को है ,मिडिया को है ,लोगों को है ,बुधिजिबियों को है लेकिन क्रांति को लेकर उत्साह कही नही है .सुप्रीम कोर्ट के जज की  शिकायत है कि सरकार न्यायपालिका को अधिकार संपन्न नही देखना चाहती .

सच का सामना करने के लिए क्यों नही तैयार है कश्मीरी ?

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सच का सामना करने के लिए इस बार हुर्रियत कान्फेरेंस के साबिक चेयरमेन अब्दुल गनी बट सामने आये .मौका था जे के एल ऍफ़ के सेमिनार का .मौका था भारत के खिलाफ जहर उगलने का लेकिन प्रो बट का खुलासा सबको चौका दिया ,उन्होंने कहा" मारे गए हमारे हुर्रियत के लीडर वाकई मे शहीद है या फिर हमारी अंतर्विरोध के साजिश के शिकार " .हुर्रियत कान्फेरेंस के चेयरमेन ओमर फारूक और बिलाल गनी लोन की मौजदगी मे प्रो बट ने यह सवाल उठाया कि इनके पिता की हत्या किसने की थी ?उन्होंने जोर देकर कहा कि झूठ बोलने की आदत छोड़कर हम यह सच बताये कि मौलवी फारूक ,गनी लोन और प्रो अहद जैसे लीडरो की हत्या हम मे से कोई की थी इनकी हत्या किसी सुरक्षा वालों ने नही की थी .हुर्रियत लीडरो की हत्या की एक लम्बी फेहरिस्त है मौलवी मुश्ताक ,पीर हिसमुदीन ,शेख अजीज़ रफीक शाह ,माजिद डार इनकी हत्या के बारे मे यही बताया गया कि अज्ञात बन्दुक धारियों ने इनकी हत्या की थी लेकिन किसी हत्या की जांच की हिम्मत स्थानीय पुलिस नही दिखा सकी .तो क्या प्रो बट के हालिया खुलासे के बाद इन हत्यायों का राज ढूंढने के लिए किसी हुर्रियत लीडर से पूछ ताछ करेगी ?शायद