संदेश

मर्यादा पुरुषोत्तम राम के देश में टूटती शब्दों की मर्यादा : हिंदी हैं हम वतन है में इतनी नफ़रत कहाँ से आयी ?

चित्र
भारत पाकिस्तान के बीच बटवारे के 73 साल बाद भी राजधानी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगो में वही पुरानी वीभत्स और नफरत वाली तस्वीर दिखी। वही नारे और तक़रीर सुनी तो यह कैसे यकीन करे कि धर्म और मजहब से ऊपर हमने संविधान और आधुनिक शिक्षा की बदौलत एक सभ्य समाज के साथ 21 वी सदी की ओर चलने की कोशिश की है?.संविधान और सेकुलराजिम और नए नागरिकता कानून के खिलाफ .पिछले 2 महीनो से शाहीनबाग जैसे दर्जनों धरने और प्रदर्शनों  में जिस तरह के जहरीले बयानों और नारे से माहौल को दुषित किया गया। दिल्ली चुनावी माहौल में शाहीनबाग़ को लेकर भड़काऊ भाषण दिए गए.. शब्दों की मर्यादा तार तार हुई ,.. जाहिर है अपनी अपनी सियासत के आगे संविधान ,सेक्युलरिज़्म ,समाज का अस्तित्व गौण हो गया था और यह सच बताने वाला कोई नहीं था कि यह धरना एक भ्रम फ़ैलाने की  साजिश है जिसमे महज एक अफवाह ने मुसलमानो के अंदर असुरक्षा पैदा कर दी है। लेकिन इस असुरक्षा की भावना उन इलाकों में और उन राज्यों में ज्यादा क्यों थी जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक में थे और हिन्दू अल्पसंख्यक ? यह एक बड़ा सवाल है।  इन धरनों से स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही थी...

श्रम ,साधन , श्रद्धा और सियासत : राम मंदिर निर्माण में सबकी सेवा होगी सुनिश्चित

चित्र
पिछले दिनों बुजुर्ग नेता शरद पवार ने सरकार को बिन मांगे एक सलाह दी। एन सी पी नेता पवार जी का कहना था कि सरकार राम मंदिर निर्माण के तर्ज पर मुसलमानों के मस्जिद के लिए भी एक ट्रस्ट बनाये। उनका मानना है कि सेक्युलर हिंदुस्तान में यह जरुरी है। महाराष्ट्र की सियासत में वे उस बूढ़े शेर की तरह हैं जो शिकार के लिए ज्यादा दौड़ नहीं सकते लेकिन दिमाग दौड़ा कर शिकार पकड़ लेते हैं। जाहिर है उन्होंने सेकुलरिज्म के नाम पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है। दुनिया जानती है कि राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित ट्रस्ट के द्वारा हो रहा है। उसी आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने की बात की है। मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी यह मानता है कि उनके पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने के अलावे दूसरा विकल्प नहीं है ,इसलिए उन्हें अब यह तय करना है कि सरकार द्वारा दी गयी प्रस्तावित जमीन का इस्तेमाल किस रूप में होना है। माननीय न्यायलय के आदेश को न मानना अवमानना होगा। यह बात भी सब जानते हैं फिर शरद पवार के सेक्युलर बयान का अर्थ समझा जा सकता है। 1989 में...

केजरीवाल और शाहीनबाग : भारत माता की जय के साथ कांग्रेस का विकल्प

चित्र
पिछले 70 वर्षों में भारत की राजनीति और लोकतंत्र कितना मजबूत हुआ है इसे दिल्ली के चुनाव में  शाहीनबाग और हनुमान चालीसा जैसे चुनावी फॉर्मूले से समझा जा सकता है। विविधता से भरे इस देश में चुनावी मुद्दे कैसे बदलते हैं इसका बेहतर उदाहरण भी दिल्ली है। अगर आम आदमी पार्टी की जीत पर भारत माता की जय का जयकारा होता है फिर शाहीनबाग क्या है ? फिर आर एस एस के  भैया जी जोशी का कहना सही है कि बीजेपी का विरोध हिन्दू का विरोध नहीं है और न ही भाजपा का मतलब हिन्दू होता है। सच कहे तो भारत का लोकतंत्र वोट साधने के फॉर्मूले से शुरू होता है और चुनाव जीतने के लक्ष्य पूरा होने के साथ ख़तम हो जाता है। लगातार पांच साल तक दिल्ली के संगठन को सक्रीय, किये बिना अगर बीजेपी 1 महीने के धुआँधार चुनाव प्रचार से दिल्ली फतह का फार्मूला लाती है तो यह भी एक सीख है की लोग पार्टी को लेकर राय एक महीने में नहीं बनाते हैं। 6 महीने पहले जिस दिल्ली ने नरेंद्र मोदी की अपील पर प्रचंड बहुमत से सभी 7 सीट जताई थी वही दिल्ली इस बार उनकी नहीं सुनी। यानी दिल्ली ने अपने स्थानीय मुद्दे ,स्थानीय नेता की तरजीह दी। यान...

71 वा गणतंत्र:देश ने सहनशील -असहनशील ,सेक्युलर कम्युनल बहस को पीछे छोड़ दिया है

चित्र
देश 71 वा गणतंत्र दिवस मना रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव प्रक्रिया में आमलोगों की भागीदारी,बोलने की आज़ादी,धार्मिक स्वतंत्रता की आज़ादी  आईडिया ऑफ़ इंडिया को मजबूती देती है। ये अलग बात है अधिकार को लेकर सजग हमारा गणतंत्र नागरिकों के  कर्तव्य के मामले में फिसड्डी साबित हुआ है। स्वच्छ भारत अभियान को छोड़ दें तो  भारत की तस्वीर बदलने के लिए लोगों ने अपने व्यवहार में परिवर्तन शायद ही कभी लाया हो। सिर्फ सी ए ए प्रोटेस्ट के नाम पर पुरे मुल्क में हजारों करोड़ रूपये की प्रॉपर्टी को हमने जला दिया है। लेकिन इस दौर में फेक नेरेटिव ने अपना असर लगभग खो दिया है। पिछले दिनों भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश का ध्यान अलग अलग शहरों में नागरिकता कानून के विरोध में मुस्लिम महिलाओं के प्रदर्शन के ओर दिलाया है। उनका मानना है कि इन प्रदर्शनों में भारत का लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। श्री मुखर्जी ने शाहीन बाग़ जैसे प्रोटेस्ट को लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में एक सार्थक कदम माना है। हालाँकि प्रणब दा यह बताना भूल गए कि CAA की प्रतिक्रिया बंगाल और असम में हो...

CAA -NPR से लेकर इंटरनेट अगर बहस मौलिक अधिकार को लेकर है तो फेक नेरेटिव क्या है ?

चित्र
किसी भी इलाके में शासन द्वारा धारा 144 लागू होने की सूचना आप सबने सुनी होगी लेकिन इसे हटा लिए जाने का ऐलान मैंने कभी नहीं सुना। शायद आपने सुना हो ! धारा 370 निरस्त किये जाने के बाद कुछ वक्त कश्मीर में मैंने भी बिताया था। आम लोगों की भीड़ में चलते हुए जहाँ कहा गया वापस जाओ रेस्ट्रिक्शन है, वापस घर लौट आया, लेकिन जुम्मा को छोड़कर घर वापस लौटने की सूरत कभी नहीं बनी। यानी जिस धारा 144 को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लम्बी चौड़ी फेहरिस्त सरकार को थमा दिया है वैसी हालत कश्मीर मैंने कभी नहीं देखी। हालाँकि इंटरनेट एक्सेस न होने से मुझे भी अपने मौलिक अधिकार का हनन लगता था ,सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मौलिक अधिकार ही माना है लेकिन उससे ज्यादा परेशानी इस बात की थी कि मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल सिर्फ फोन डायरेक्टरी की तरह हो गया था और बार बार किसी साहब के कमरे में बेसिक फोन से काल मिलाना पड़ता था लेकिन ऐसा कुछ नहीं था कि बोलने और लिखने के अधिकार पर पाबन्दी लगा दी गयी थी जैसा कि कांग्रेस लीडर गुलाम नबी आज़ाद और कश्मीर टाइम्स के संपादक ने कश्मीर में शासन के रेस्ट्रिक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका...

2019 : देश प्रथम का संकल्प हो तो कड़े फैसले का स्वागत है

चित्र
इतना शोर क्यों है भाई ! देश के हर गली मोहल्ले में साल के जाते जाते पक्ष -विपक्ष की चीखतीं चिल्लाती आवाज़ के बीच जब केरल के गवर्नर महामहिम आरिफ मोहमद खान को यह चिल्लाते हुए सुना "आप मुझे चुप नहीं कर सकते ,मैं बोलूंगा " महामहिम के अभिव्यक्ति की आज़ादी भला कौन छीन सकता है ? लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई जब देश के प्रसिद्ध इतिहासकार इरफ़ान हबीब गवर्नर के भाषण के बीच इतने उत्तेजित हुए कि वे चीखते हुए मंच की ओर लपके और आरिफ साहब को रोका। ऐसी छिटपुट घटना हर गली मोहल्ले में हो रही है प्रियंका गाँधी कहती हैं पुलिस ने उनका गला दबा दिया ,उनके साथ बदतमीजी की। जामिया के छात्र कहते हैं हमारे साथ बदतमीजी हुई ,हमारी अभिव्यक्ति की आज़ादी छीनी जा रही है ,यह आरोप हर जगह  धारा 144 तोड़कर बताया जा रहा है। योगी जी की पुलिस कठघड़े में है और ममता जी की पुलिस अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मान पाने के हकदार बन गयी है क्योंकि टैक्स पेयर के अरबों की सम्पाति फूंक दी गयी बंगाल पुलिस ने संख तक नहीं बजायी। खैर मुदा शोर का है !  ज़ी न्यूज़ का दावा है उन्हें नागरिकता कानून के समर्थन में 1 करोड़ से ज्यादा...

सदैव अटल की पार्टी में सर्वसहमति वाली फेविकोल ढीली हो गयी है !

चित्र
सदैव अटल !अटल थे अटल हैं और अटल रहेंगे .गीता का यह उपदेश 'न दैन्यं न पलायनम्' ( दीनता नहीं चाहिए , चुनौतियों से भागना नहीं , बल्कि जूझना जरूरी है ) यह उनके जीवन का दर्शन था। देश उनके जन्म दिन को सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है लेकिन यह जानना भी जरुरी है क्यों अटल थे अटल हैं और अटल रहेंगे। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अटल जी काफी संजीदा थे। उनकी इच्छा थी कि जनम भूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो,उनके राम गाँधी ज ी के राम से अलग नहीं थे अयोध्या के राम उनके आदर्श थे । लेकिन सोमनाथ से अयोध्या की आडवाणी जी की रथ यात्रा का प्रस्ताव बीजेपी कार्यकारिणी में आया तो अटल जी ने इसका विरोध किया था । उन्होंने कहा इससे देश में विरोध बढ़ेगा। लेकिन कार्यकारिणी ने एक स्वर से रथ यात्रा का प्रस्ताव पारित किया। आडवाणी जी की यात्रा को हरी झंडी दिखाने अटल जी पहुंचे और भव्य यात्रा की शुरुआत की । वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यात्रा का संचालन कर रहे थे। किसी ने अटल जी से पूछ लिया " आपने जब रथ यात्रा का विरोध किया था तब हरी झंडी दिखाने क्यों आये? अटल जी का जवाब था वह मेरा व्यक्तिगत फैसला था ...